बाढ़ग्रस्त इलाकों में अब बढ़ रहा है बीमारी फैलने का खतरा, बचाव के उपाय करे सरकार: नेता प्रतिपक्ष

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    file photo

    मंडी : नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य लगभग न के बराबर है। प्रभावित इलाक़ों में लोगों को अब भी राहत का इंतज़ार है। न पीने के पानी का इंतज़ाम है, न ही बिजली और संचार सुविधाओं का। अब बीमारी फैलने का ख़तरा है। सरकार इससे बचाव के लिए प्रयास करें जिससे किसी को समस्या न होने पाए। उन्होंने कहा कि इस बारिश से निपटने के लिए सरकार तैयार नहीं थी, नहीं तो नुकसान कम हो सकता था। हर साल सरकार मानसून, गर्मी और बर्फ़बारी के पहले हाई लेवल मीटिंग करके तैयारियों का जायज़ा लेती हैं और उससे निपटने के सारे प्रबंध करती है। लेकिन इस बार ऐसी कोई मीटिंग ही नहीं हुई, जिसमें तैयारियों की समीक्षा हो सके।

    नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार बाढ़ आपदा प्रभावितों को राहत नहीं पहुंचा पा रही हैं। इसमें तेज़ी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा त्वरित सहायता करते हुए एनडीआरएफ़, एयर फ़ोर्स और सेना के जवानों की तैनाती तथा आपदा राहत के लिए 364 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का आभार भी जताया। वह मंडी में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। 

    नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि लोगों के पास पीने लायक़ पानी नहीं हैं। मोबाइल में नेटवर्क नहीं हैं। लोगों का आपस में संपर्क नहीं हो पा रहा है। एक हफ़्ते से लोग बिना बिजली के  रह रहे हैं। जल्दी से जल्दी यह व्यवस्था बहाल की जानी चाहिए। सरकार जल्दी से जल्दी पात्र बाढ़  प्रभावितों को उचित सहायता प्रदान करे और उनके पुनर्वास का प्रबंध करे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पीडब्ल्यूडी विभाग, बिजली विभाग और जल शक्ति विभाग को जिस तरह से काम करना चाहिए था, वैसे नहीं कर पाई है। सिर्फ़ दौरे करने से कुछ नहीं होगा। राहत के नाम पर कोई कार्य नहीं हो पा रहा है।  लोगों के घर बह गये। घर चार मंज़िल है लेकिन घर के अंदर जाने की स्थित नहीं हैं। ऐसे भी लोग मिले जो ज़िंदगी की पूरी कमाई लगाकर घर बनाया। आज वह घर नहीं हैं। 

    नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस त्रासदी के दौरान ही कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने डीज़ल के दाम बढ़ा दिये। पिछले एक साल में भारत सरकार ने डीज़ल के दामों में एक भी एक पैसे की बढ़ोतरी नहीं की है। कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने शपथ ग्रहण करते ही डीज़ल के दाम तीन रुपये बढ़ा दिये थे। इस बार आपदा के समय में दाम बढ़ा दिये। उन्होंने कहा कि आपदा के समय सरकारें राहत देती हैं और ‘सुख की सरकार’ लोगों पर बोझ डाल रही है।  मुख्यमंत्री यह निर्णय वापस लें और जनता को राहत दे। 

    नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने सरकार को आश्वस्त किया है कि इस त्रासदी के दौरान में बीजेपी, सरकार के राहत कार्य में पूर्ण रूप से सहयोग देगी। हमने सभी विधायकों, पार्टी के नेताओं की वर्चुअल मीटिंग की। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने सभी को निर्देश दिया कि पार्टी का हर नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता फ़ील्ड में उतरे और बाढ़ प्रभावितों की मदद करे। सभी लोग जी-जान से जुटे और आज भी सब लगे हुए हैं। 

    सरकार की पहले से कोई तैयारी नहीं थी

    नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हर साल मानसून के मौसम में एक हाई लेवल की मीटिंग होती हैं, जिसमें मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्री और आलाधिकारी इसमें भाग लेते हैं और  मानसून से निपटने की योजना बनाते हैं।इस मीटिंग में ग्राउंड लेवल पर कैसे कार्य किया जाएगा, बजट आदि का प्रावधान किया जाता है। लेकिन इस बार यह मीटिंग नहीं हुई। यदि पहले से प्लान होता तो इतने बड़े नुक़सान से बचा जा सकता था। 

    केंद्र सरकार ने किया पूरा सहयोग 
    केंद्र सरकार ने अविलंब 364 करोड की सहायता राशि उपलब्ध करवा दी। एनडीआरएफ़ की टीमें एडवांस में भेजी, एयरफ़ोर्स को भेजा और रेस्क्यू का कम सुचारू रूप से संभव हो पाया।  आगे भी हर मदद करने का भरोसा दिया है। सोमवार को केंद्र से टीम आ रही है जो बाढ़ से हुए नुक़सान का जायज़ा लेगी और केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। हमारे प्रदेश की रोड कनेक्टिविटी पिछले एक साल में बहुत अच्छी हुई थी। पर्यटक सीधे मनाली पहुँच जाता था। लेकिन सड़कों को बहुत नुक़सान हुआ हैं। टूरिज्म इंडस्ट्री को भी बहुत नुक़सान हुआ है। उसे भी बहुत संबल देने की आवश्यकता है। 

    बीआरओ और एनडीआरएफ़ ने भी बहुत अच्छा काम किया है
    नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीआरओ और एनडीआरएफ़ ने बहुत अच्छा काम किया है। वह बधाई के पात्र हैं। इसके साथ ही उन्होंने  ‘जहां सेना फेल हो गई वहां सुक्खू पास हो गये’ जैसे बयान देने वाले नेताओं को भी नसीहत देते हुए कहा कि सेना के ख़िलाफ़ यह टिप्पणी  दुर्भाग्यपूर्ण हैं। यह कहना कि जहां सेना के जवान फेल हो गये, उनकी क्षमता और समर्पण पर प्रश्न उठाना है। यह सेना का अपमान हैं। सेना ने ही अपनी जान पर खेल कर लोगों को बाहर निकाला हैं, लोगों की  जान बचाई हैं।

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