हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण : खन्ना

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    शिमला: भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना और सह प्रभारी संजय टंडन ने हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से राजभवन में शिष्टाचार भेंट की। उन्होंने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल का कुशलक्षेम जाना। खन्ना ने कहा कि हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना बंद करना कांग्रेस सरकार का असली चेहरा दिखाता है। इस योजना के अंतर्गत उन लोगों को पेंशन का अधिकार था जो इमरजेंसी के दौरान जेल गए थे। आज वह बुजुर्ग हो गए हैं और उनकी विधवाओं को भी यह पेंशन मिल रही थी।

    उन्होंने कहा कि देश में इमरजेंसी 2 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक लगी थी और लाखों लोगों ने इसका विरोध किया था जिसमें उनका दृढ़ निश्चय और लक्ष्य रिवाइवल ऑफ डेमोक्रेसी और फंडामेंटल राइट्स की हक की लड़ाई थी।इस समय हमने भी इमरजेंसी का वातावरण देखा था, हमें उस समय इमरजेंसी के खिलाफ पंजाब में काफी लिटरेचर बनता था।देश में लाखों लोगों को मिसा एक्ट 1971 या डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स 1971 में जेल में डाल दिया गया था, उस समय यह लोग 6 महीने से 2 वर्ष तक जेल में रहे थे।

    कांग्रेस पार्टी ने हमेशा डेमोक्रेसी का विरोध किया है और आज भी इस प्रहरी योजना को बंद करके उन्होंने दिखाया है कि यह लोग डेमोक्रेसी के विरुद्ध करते है।कांग्रेस नेता केवल मात्र एक ही परिवार के दिए हुए दिशा निर्देश पर चलते हैं। इस योजना के अंतर्गत जो भी लाभार्थी थे उनसे इस योजना का फायदा छीनना अलोकतांत्रिक है जयराम ठाकुर सरकार ने इस योजना को एक एक्ट बनाकर 2021 में पारित किया था और यह एक्ट केवल मात्र 1 कैबिनेट की घोषणा से रद्द नहीं हो जाता इसको विधानसभा से पारित कराना होगा।

    इमरजेंसी का दौर है भारत में काले अध्याय के रूप में माना जाता है और उस समय मिसा और डिफेंस ऑफ इंडिया रूल के तहत मीडिया से लेकर तमाम सभी लोगों को जो डेमोक्रेसी की बात करते थे उनका गला घोट दिया गया था।

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