Monday, January 13, 2025

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गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित


नाहन – जिला सिरमौर के नाहन स्थित माता बाला सुंदरी गौशाला में गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए  उपायुक्त सिरमौर डॉ0आर0के0परूथी की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिला के सभी गौशालाओं के समन्वयकों ने भाग लिया।
 डॉ0परूथी ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य गाय के गोबर व गोमूत्र से बने मूल्यवान पदार्थों को बेचकर गौ सदनों को आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर व गौ मूत्र के मिश्रण से धूप, हवन सामग्री व फोन में लगाए जाने वाले एंटीरेडिएशन चिप बनती है जिसका बाजार में अच्छा मूल्य प्राप्त हो रहा है। आगामी दिनों में सभी गौ समन्वयकों को इन पदार्थों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इन वस्तुओं को बनाने के लिए जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि सड़कों पर आवारा पशुओं की तादात दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे आय दिन सड़कों पर दुर्घटना हो रही है। उन्हांेने बताया कि गाय के गोबर व गौ मूत्र से बने पदार्थों के अच्छे दाम मिलने पर लोग अपने पशुओं को आवारा नहीं छोडेगें।

इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता वैद्य राजेश कपूर ने गाय के गोबर व गोमूत्र से बनने वाले पदार्थों जैसे गौ मूत्र अर्क, पंचगव्य, उबटन, हवन सामग्री, धूप, साबुन, केश तेल, चटाई आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह सभी पदार्थ देसी नस्ल की गाय के गोबर व गौ मूत्र के मिश्रण से बनी होनी चाहिए। उन्होंने लोगों को देसी गाय पालने का संदेश देते हुए बताया कि देसी गाय के गोबर व गौ मूत्र से बनी खाद कृषि भूमि की उर्वकता बढ़ाती है। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर व गौ मूत्र से बने पदार्थोंं जैसे गौ मूत्र अर्क के इस्तेमाल से कई गम्भीर रोग ठीक हो सकते हैं और गाय के गोबर व गौ मूत्र से बनी चटाई पर पैर रख कर बैठने से बीपी व शूगर की बिमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए लाभादायक है। इसके अतिरिक्त गाय के गोबर व गौ मूत्र से कई प्रकार के कोस्मेटिक्स भी बनाए जा सकते है और खाना बनाने के लिए ईधन के रूप में भी गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है।

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