महिला सशक्तिकरण के लिए समाज में बदलाव लाने की आवश्यकताः शुक्ल

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    शिमला: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हमें समाज में बदलाव लाने की आवश्यकता है। उन्हें समाज में न्यायपूर्ण और समान अवसर प्रदान करने होंगे, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ सके। राज्यपाल आज यहां सुनील उपाध्याय एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित सुनील उपाध्याय की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर ‘‘महिला सशक्तिकरण-भारतीय दृष्टिकोण’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

    शुक्ल ने कहा कि ‘महिला सशक्तिकरण’ एक ऐसा विषय है जिसकी चर्चा करना एवं इसे ठीक प्रकार से कार्यान्वित करना आज समाज व राष्ट्र की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे आदि-ग्रंथों में कहा गया है कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है। उन्होंने कहा कि जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान घटने लगा था। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य है।

    राज्यपाल ने कहा कि भारत के शहरी क्षेत्रों की महिलाएँ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के अपेक्षा अधिक रोजगारशील है। आकड़ो के अनुसार भारत के शहरों में साफ्टवेयर इंडस्ट्री में लगभग 30 प्रतिशत महिलाएँ कार्य करती है, वही ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 90 फीसदी महिलाएँ मुख्यतः कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में दैनिक मजदूरी करती है। उन्होंने कहा कि हमारा देश तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसे हम तभी बरकरार रख सकते है, जब हम लैंगिग असमानता को दूर कर पाए और महिलाओं के लिए भी पुरुषों के तरह समान शिक्षा, तरक्की और भुगतान सुनिश्चित कर सके।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिये सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किए गए हैं।

    उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कानून के अमल में आने के बाद लोकसभा और विधानसभा में बहुत कुछ बदल जाएगा।राज्यपाल ने कहा कि भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई अन्य योजनाएँ चलाई हैं। इनमें से कई योजनाएँ रोजगार, कृषि और स्वास्थ्य जैसी चीजों से सम्बंधित हैं। इन योजनाओं का गठन भारतीय महिलाओं के परिस्थिति को देखते हुए किया गया है ताकि समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सके। इनमें से कुछ मुख्य योजनाएँ मनरेगा, सर्व शिक्षा अभियान, जननी सुरक्षा योजना (मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए चलायी जाने वाली योजना) आदि हैं।

    उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने महिलाओं को सुविधा, सुरक्षा, सम्मान प्रदान किया है। गैस कनेक्शन के लिए उज्ज्वला, महिला शौचालयों के लिए स्वच्छता और घरों में नल के पानी के लिए जल-जीवन जैसी विचारपूर्वक बनाई गई योजनाओं ने न केवल महिलाओं के जीवन को सरल बनाया, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान के साथ आत्मविश्वास की भावना भी प्रदान की है। इससे पूर्व, राज्यपाल ने समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित भी किया।इस अवसर पर, कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती मोनिका अरोड़ा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।सुनील उपाध्याय एजुकेशन ट्रस्ट के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा तथा सचिव प्रो. सुरेन्द्र शर्मा ने राज्यपाल का स्वागत किया।

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