राज्यपाल ने किया ‘मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया’ पुस्तक का विमोचन

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    शिमला : राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने आज राजभवन में श्री शशांक मणि की पुस्तक ‘मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया’ का विमोचन किया। लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला भी इस अवसर पर उपस्थित थीं। इस अवसर पर, राज्यपाल ने शशांक मणि के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने ‘मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया’ के माध्यम से भारत के आर्थिक, सामाजिक और राजनीती के केंद्र को उच्च वर्ग से देश के उभरते हुए मध्यम वर्ग की तरफ ले जाने का एक साहसिक प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में उन उपेक्षित लोगों की अनसुनी कहानियों को उजागर किया गया है, जिन्हें उनके स्थान और भाषा के कारण लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया। 

    शुक्ल ने कहा कि देश के हर व्यक्ति को भारत को जोड़ने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है और शशांक मणि द्वारा चलाई जा रही ‘जागृति यात्रा’ यही कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत का गौरवपूर्ण अतीत रहा है और हमारे आध्यात्म ने समाज को एक बंधन में जोड़कर रखा। उन्होंने कहा कि हमारा समाज बहुत समृद्ध रहा है जो आपस में किसी न किसी रूप में जुड़ा रहता था। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता का उदहारण हमारे ग्रामीण परिवेश में साफ झलकता था। हर वर्ग के लोग आपस में मिलकर रहते थे और यही भारत की शक्ति है। भारत को यदि समझना है तो ‘राम’ को समझना होगा क्योंकि भगवान राम ने किस तरह समाज के हर वर्ग को साथ लेकर आध्यात्म का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में मध्यम वर्ग का गणतंत्र की मजबूती में कितना योगदान है और कैसे वह देश के विकास में अपने को आहूत कर अहम् भूमिका निभा रहा है, यह पुस्तक के माध्यम से आपने स्पष्ट किया है।

    उन्होंने कहा कि यह पुस्तक भारत को एक नई सोच प्रदान करती है। कैसे उद्यमिता के सहयोग से द्वितीय-तृतीय श्रेणी के जिलों को हम आगे बढ़ा सकते है और विकसित भारत के सपनो को पूरा कर सकते है। यह पुस्तक भारत के इतिहास के बारे में भी गहन चर्चा करती है जो कि उद्यमिता पर आधारित थी और तब देश की अर्थव्यवस्था कितनी सुदृढ़ थी।इस अवसर पर, पुस्तक के लेखक शशांक मणि ने राज्यपाल तथा लेडी गवर्नर का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि 13 अध्यायों से अधिक की यह पुस्तक अमृत काल पर भारत की एक नई दृष्टि को रेखांकित करती है। इन तेरह अध्यायों के ऊपर चार प्रमुख अवधारणाएँ हैं, और इन्हें कहानियों, उपाख्यानों और गहन शोध के माध्यम से प्रकाश में लाया गया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में उनके पिछले 15 साल से पूरे देश में की गई जागृति यात्रा जैसी विश्व की सबसे बड़ी रेल यात्रा जिसमं देश के अब तक 7500 युवाओं को तैयार किया है और उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया गया है के बारे में भी उल्लेख किया गया है।उन्होंने कहा कि यह पुस्तक 13 अध्यायों में फैली हुई है, जो भारत की अमृत कालयात्रा में एक नई दृष्टि को रेखांकित करती है। मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया को चार प्रमुख स्तंभों के आसपास लिखा है, जिसमें पिरामिड नहीं डायमंड, नई आधुनिकता का स्रोत तथा बरगद क्रांति का उल्लेख किया गया है।राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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