शिमला. हिमाचल प्रदेश में कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग का कार्य न केवल कैदियों (Prisoner) को जेल के अन्दर बंद रखने के लिए कारावास की अवधि के दौरान इन्हें रचनात्मक व जीविकोपार्जन कार्य में व्यस्त रखते हुए इनका सुधार करना भी प्रमुख है। ताकि वे अपनी इस कारावास (Jail) अवधि का सदुपयोग करके नए-नए कार्य व हुनर सीखें जिससे जेल से छूटने के उपरांत अपनी न केवल आजीविका अर्जित कर सके। अपितु परिवार की देखभाल कर सके। सरकार ने कैदियों के कल्याण के लिए जेलों में अनेक योजनाएं शुरू की है।
3 साल में ये योजनाएं चली
पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल में ‘हर हाथ को काम’ योजना के तहत जेलों में बेकरी, कैंटीन, सिलाई, बैल्डिंग, कार वाशिंग, स्पाइस यूनिट, सैलून आदि के नए कार्य आरम्भ किए गए हैं तथा पूर्व में शुरू किए गए कार्य जैसे कारपेंटरी, डेयरी फार्मिंग व खड्डी शाखा के कार्यों में बढ़ोतरी की है जिसमें बंदियों को उनकी कार्यक्षमता व रूचि के अनुसार कार्य सिखाया जा रहा है बंदी इस तरह नए-नए कार्य सीखने के साथ-साथ आय भी अर्जित कर रहे है।
दो करोड़ बांटे कैदियों को
विभाग द्वारा चलाई जा रही इन कल्याणकारी योजनाओं के कारण वर्ष 2017-18 में तीन करोड़ 24 लाख रुपये का टर्नओवर प्राप्त हुआ है। वर्ष 2018-19 में तीन करोड़ 58 लाख रुपये का टर्नओवर तथा वर्ष 2019-20 में चार करोड़ 68 लाख रुपये का टर्नओवर प्राप्त हुआ है. वर्ष 2018-19 में एक करोड़ 19 लाख रुपये की मजदूरी, जबकि वर्ष 2019-20 में एक करोड़ 48 लाख रुपये की मजदूरी दी गई ।
हिमाचल प्रदेश की जेलों में उत्पादित उत्पादों को हिमकारा ब्राण्ड के नाम से हिमकारा स्टोर के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है, जिसे कि भारत सरकार के व्यापार चिन्ह अधिनियम 1999 के तहत ‘हिमकारा’ नाम से अप्रैल 2019 में रजिस्टर किया गया है । जेल निर्मित कुछ उत्पाद जैम पोर्टल पर भी उपलब्ध करवाए गए हैं । हिमाचल प्रदेश की जेलों में निर्मित शॉल, मफलर, कोट पट्टी आदि उत्पादों को भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ टैक्सटाइल द्वारा ‘हैंडलूम मार्क’ भी प्रदान किया गया है ।
146 कैदी मजदूरी अर्जित कर रहे
‘हर हाथ को काम’ परियोजना के तहत विभाग मुक्त कारागार कैदियों को जेलों की परिधि से बाहर निजी उद्यमों में काम करने की अनुमति देकर उनके लिए नौकरी/कार्य प्राप्त करने की सुविधा भी दे रहा है । वर्तमान में इस परियोजना के तहत 4 महिलाओं सहित 146 कैदी मजदूरी अर्जित कर रहे हैं । बंदियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से जेलों में इग्नु सेंटर खोले गए हैं । वर्ष 2017-18 में 106 कैदियों ने शिक्षा हासिल की, जिनमें से 85 ने जमा दो, 18 ने स्नातक और 03 ने स्नातकोत्तर में शिक्षा अर्जित की । वर्ष 2018-19 में 88 कैदियों में से 67 ने जमा दो, 13 में स्नातक एवं 08 ने स्नातकोत्तर में शिक्षा अर्जित की । इस समय कुछ कैदी स्नातक एवं जमा दो में पढ़ रहे हैं तथा कुछ कैदियों द्वारा स्नातक की शिक्षा पूरी कर ली गई है ।
कैदियों की संख्या भी बढ़ी
हिमाचल प्रदेश प्रदेश की सभी कारागारों में कैदियों के मनोरंजन और सामान्य ज्ञान में सुधार के लिए किताबें और समाचार पत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं । पिछले तीन वर्षों में जेल की क्षमता व कैदियों की संख्या में बढ़ोतरी होने के कारण इनके कुशल संचालन के लिए विभाग में विभिन्न श्रेणियों के पदों में भी बढ़ोतरी की गई है । वर्तमान में इनकी संख्या 732 हो गई है प्रदेश सरकार द्वारा कैदियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है । आदर्श केन्द्रीय कारागार कण्डा (शिमला) नाहन, लाला लाजपतराय जिला सुधार गृह धर्मशाला और मुक्त कारागार बिलासपुर में पूर्णकालिक चिकित्सा अधिकारी के पद स्वीकृत है । बाकि जेलों में कैदियों के मेडिकल चैक-अप और इलाज हेतु डाॅक्टर स्थानीय चिकित्सालयों से अंशकालिक दौरा करते हैं । गंभीर बीमारी की स्थिति में कैदियों को जिला अस्पतालों, इंदिरा गांधी मेडिकल काॅलेज शिमला, पीजीआई चंडीगढ़ और नई दिल्ली स्थित अस्पतालों में भेजा जाता है । इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश जेल विभाग देश का एकमात्र विभाग है, जहां पिछले तीन वर्षों के दौरान कैदियों की एचआईवी और टीबी प्रोफाइलिंग सुविधा प्रदान की है । सभी जेलों में कुल 23 एचआइवी शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें 2013 कैदियों का परीक्षण किया गया । जेलों में क्षय रोग के उन्मूलन के लिए कैदियों की तपेदिक की नियमित जांच की जा रही है । हिमाचल प्रदेश की जेलों में पहली बार इसी वर्ष जून 2020 में कंडा जेल में डेंटल हेल्थ क्लीनिक भी स्थापित किया है, अन्य तीन बड़ी जेलों में जहां पर कैदियों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक रहती है, वहां भी इसी तरह के डेंटल हेल्थ क्लीनिक स्थापित जा रहे हैं ।