Monday, April 21, 2025

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बेरोजगारी व भर्ती प्रक्रिया में राजनीतिक भ्रष्टाचार को लेकर 12 अगस्त को विधानसभा का घेराव

शिमला : SFI डीवाईएफआई राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश द्वारा शिमला में बेरोजगारी व भर्ती प्रक्रिया में राजनीतिक भ्रष्टाचार के मुद्दे के खिलाफ संयुक्त प्रेस वार्ता आयोजित की गई। तथा 12 अगस्त 2022 को हिमाचल प्रदेश विधानसभा घेराव की रणनीति बनाई गई जिसके लिए हिमाचल प्रदेश में 3 अलग-अलग जत्थों के माध्यम से आम जनता , छात्र व नौजवानों को लामबंद करते हुए प्रदेश विधानसभा के बाहर विशाल प्रदर्शन किया जाएगा ।

SFI डीवाईएफआई का मानना है कि रोजगार केवल आर्थिक मसला नहीं है बल्कि यह देश के विकास   का भी मसला है।शिक्षा व रोजगार किसी भी देश व प्रदेश की तरक्की के सूचक हैं हाल ही में एनआईआरएफ द्वारा जारी श्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों की सूची में हिमाचल प्रदेश के एक भी संस्थान का जिक्र ना होना हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। दुनिया भर का इतिहास इस बात का गवाह है कि कोई भी देश अपने देश के लोगों के दम पर ही आगे बढ़ा है दुनिया से कर्ज लेकर कोई भी देश व प्रदेश तरक्की नहीं कर सकता है हम प्रदेश की सरकार को भी यह सुझाव देना चाहते हैं कि वह प्रदेश के नौजवानों व प्रदेश की प्राकृतिक संपदा को सही दिशा में इस्तेमाल करते हुए प्रदेश की तरक्की के लिए कुछ बेहतर योजनाओं के साथ कार्य करें।

1)  वर्तमान राज्य सरकार  नौजवानों की ऊर्जा को सही दिशा में इस्तेमाल करने में नाकामयाब सिद्ध हुई है जिसका नतीजा हमारे सामने है कि आज हिमाचल प्रदेश त्रिपुरा व हरियाणा के बाद तीसरा सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाला राज्य बन कर उभर चुका है। रोजगार जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकार की संवेदनशीलता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले 5 सालों में हर वर्ष 6000 के करीब नौजवान बेरोजगारी की पंक्ति में शामिल हो जाते हैं ।इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हिमाचल प्रदेश में आए दिन पिछले 1 साल के अंदर लगातार सभी भर्तियां रद्द की गई है जिन विभागों में भर्तियां की भी गई हैं वहां पर राजनीतिक भ्रष्टाचार अपने चरम पर है भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा अपने चहेतों को पिछले दरवाजे से भर्ती करने के लिए नियमों को ताक पर रखा गया है हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से लेकर कॉलेज केडर की भर्तियों तक तथा JOAIT की भर्ती से लेकर मल्टी टास्क वर्कर की भर्ती तक हर स्तर पर भेदभाव की प्रक्रिया अपनाई जा रही है तथा एक विशेष विचारधारा के लोगों को नियुक्ति देने के लिए योग्य लोगों को दरकिनार किया जा रहा है। SFI डीवाईएफआई मांग करती है कि हिमाचल प्रदेश मैं स्थाई रोजगार की नीति बनाई जाए तथा भर्ती प्रक्रिया में फैल रहे राजनीतिक भ्रष्टाचार पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए।

2) सहायक आचार्य की भर्ती प्रक्रिया में साक्षात्कार को 100% से घटाकर 65-35 के फार्मूले अनुसार अंतिम नियुक्ति दी जाए हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन के द्वारा हाल ही के अंदर कॉलेज केडर की भर्ती के लिए आवेदन किए गए जिसकी अभी लिखित परीक्षाएं भी हो रही है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कॉलेज कैडर की भर्ती में इस लिखित परीक्षा को कोई महत्व नहीं दिया जाता है केवल 100% साक्षात्कार को महत्व देते हुए अंतिम नियुक्ति की जाती है जो कि सरासर राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की साजिश है। यह सरकार कॉलेज केडर भर्ती को r.s.s. व भाजपा के समर्थकों को भर्ती करने के लिए एक गरीबी उन्मूलन योजना की तरह इस्तेमाल कर रही है । इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि कॉलेज कैडर की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए वह लिखित परीक्षा को भी अंतिम नियुक्ति में 65% महत्व दिया जाए।

3) राष्ट्रीय शिक्षा नीति वापिस लोहिमाचल प्रदेश पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हिमाचल प्रदेश में लागू करने का फैसला लिया है यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए नहीं बल्कि शिक्षा के निजीकरण व भगवाकरण करने के लिए अपनाएं जा रही है इस शिक्षा नीति के चलते निजी शिक्षण संस्थानों को लूट की खुली छूट दी जा रही है। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हमारे पाठ्यक्रम के साथ भी छेड़छाड़ करते हुए झूठे इतिहास को स्कूलों व महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है SFI डीवाईएफआई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा के भगवाकरण करने की इस मुहिम का विरोध करती है तथा एस एफ आई इस छात्र विरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग करती है

4) सभी शिक्षण संस्थानों में रिक्त पड़े शिक्षकों  गैर शिक्षकों के पदों को शीघ्र भरा जाए हिमाचल प्रदेश के अधिकतर कॉलेज व स्कूल आज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है बिना शिक्षकों के सुनसान शिक्षण संस्थानों में लगातार छात्रों की संख्या में गिरावट आ रही है मजबूरन अभिभावक अपने बच्चों को  निजी शिक्षण संस्थानों में दाखिल करने के लिए विवश हो चुके है। हम सरकार से मांग करते हैं कि सभी कॉलेजों , स्कूलों  व विश्वविद्यालयों में रिक्त पड़े पदों को शीघ्र भरा जाएं।

5) छात्रों के जनवादी अधिकार छात्र संघ चुनाव को बहाल करो ।भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि हमारे प्रदेश में सबसे पढ़े-लिखे तबके विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के अंदर पढ़ने वाला छात्रों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार तक नहीं है। विश्वविद्यालय व महाविद्यालय हमेशा से चर्चा परिचर्चा के केंद्र रहे हैं जहां पर नई-नई विचारधाराओं का सृजन हुआ है लेकिन आज जिस तरीके से आजाद विचारों का कत्ल किया जा रहा है लोकतंत्र की हत्या की जा रही है यह कहीं ना कहीं देश में एक तानाशाह व फासीवादी शासन के संकेत है इसलिए SFI DYFI मांग करती है कि  लिंगदोह  कमेटी की सिफारिश अनुसार सभी शिक्षण संस्थानों में प्रत्यक्ष रूप से छात्र संघ चुनाव का आयोजन किया जाए।

6) नशा माफिया पर रोक लगाने के लिए ठोस कानून बनाया जाए।हमारे प्रदेश में बढ़ते नशे के कारोबार ने युवाओं को दिशाहीन बना दिया है जिसमें प्रदेश सरकार भी बराबर की जिम्मेदार है सुंदरनगर, हमीरपुर व  ऊना आदि कई जगहों पर भाजपा व उससे समर्थित संगठनों के कार्यकर्ताओं पर अवैध नशे के कारोबार को अंजाम देने के आरोप लगे है। लेकिन प्रदेश सरकार की शह पर चल रहे इस अवैध नशे के कारोबार पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है जिसके कारण आज देश का ऊर्जावान युवा एक भटकाव की स्थिति में पहुंच चुका है हम प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि नशा माफिया पर रोक लगाने के लिए एक सख्त कानून बनाया  जाए।
इन मांगों को लेकर SFI DYFI प्रदेश भर में 3 अलग अलग जत्थों के माध्यम से आम जनता व नोजवानों को लामबद्ध करेगी। पहला जत्था प्रदेश की राजधानी शिमला से , दूसरा जत्था मंडी जिला से  तथा तीसरा जत्था जिला चंबा से 3 अगस्त को रवाना होगा। यह तीनों जत्थे हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों से होते हुए 12 अगस्त को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बाहर एक बड़ी संख्या में छात्रों व युवाओं को लामबंद करते हुए संपन्न होंगे। हम प्रदेश के सभी नोजवानों व छात्रों से अपील करते है कि आप हताश ना हो बल्कि इस मुहिम का हिस्सा बने, SFI DYFI आपकी आवाज से आवाज मिलाएगी। तथा 12 अगस्त को विधानसभा के बाहर भारी संख्या में पहुंच कर सरकार को छात्रों व नोजवानों के पक्ष में नीतियां बनाने के लिए मजबूर करेंगे।

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