नई दिल्ली. यूनियन बजट 2020-21 में कोविड-19 वैक्सीन की खरीद, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए विशेष ऐलान हो सकता है I साथ ही देश के पब्लिक हेल्थ सिस्टम के लिए भी विशेष बजट का प्रावधान हो सकता है I मनीकंट्रोल ने अपनी एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से इस बारे में जानकारी दी है I सूत्रों का कहना है कि यह रकम करीब 80,000 करोड़ रुपये तक की हो सकती है I यह बजट केंद्र सरकार द्वारा खर्च किया जाएगा, इसके अलावा राज्य और प्राइवेट सेक्टर भी अपने स्तर पर खर्च करेंगे I भारत में प्रत्येक व्यक्ति को वैक्सीन उपलब्ध कराना दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन प्रोग्राम में से एक होने वाला है I वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2021 को अगला बजट पेश करेंगी I
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार हेल्थ सेक्टर में सुधार के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को भी मान चुकी हैI बजट के साथ इन सिफारिशों के बारे में भी जानकारी दी गई I कहा जा रहा है कि हेल्थ सेक्टर पर होने वाला यह खर्च देश की जीडीपी के आधार पर पहले से तय हिस्सेदारी के मुकाबले दोगुना होगा. साथ ही सरकार मेडिकल प्रोफेशनल्स की डेडिकेटेड काडर भी तैयार करेगी I
हर व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए खास तैयारी में सरकार
आधिकारिक सूत्रों के हवाले से मनीकंट्रोल की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले सालों में एक बार खर्च करने के लिए प्रावधान पर चर्चा हुई है I सरकार इसका एक बड़ा हिस्सा वैक्सीन की खरीद, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर खर्च करेगी. हालांकि, प्राइवेट सेक्टर की भी इसमें अहम भूमिका होगी. भारत में फार्मा सेक्टर की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता दुनिया में सबसे ज्यादा है. केंद्र और राज्यों द्वारा बड़े स्तर पर वैक्सीन की खरीद की जाएगी. सरकार हर व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए मैकेनिज्म तैयार कर रही है.
वैक्सीन से पहले की तैयारियों में जुटी सरकार
वर्तमान में कोरोना वायरस वैक्सीन के तीन कैंडिडेट – Pfizer Inc, एस्ट्राजेनेका और भारत बायोटेक को इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिलने का इंतजार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ सप्ताह के भीतर ही कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स क्षमता को भी विशेष रूप से तैयार करना होगा. केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों को निर्देश दिया है कि वो वरीयता के आधार पर तय कर लें कि किन्हें सबसे पहले वैक्सीन लगाना है. इसमें हेल्थकेयर और वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं.
क्या है वित्त आयोग की सिफारिश?
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, 15वें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि 2023-24 तक पब्लिक हेल्थ पर देश की जीडीपी का 2.5 फीसदी रकम खर्च होना चाहिए. 2019-20 की तुलना में देखें तो यह करीब 1.26 फीसदी की दोगुना है. आयोग ने केंद्रीय स्तर पर डॉक्टर्स और मेडिकल प्रोफेशनल्स की एक विशेष काडर तैयार करने की भी सिफारिश की है. माना जा रहा है कि सरकार ने इन सिफारिशों को मान लिया है और आगामी बजट में इसका ऐलान कर दिया जाएगा. वैक्सीन प्रोग्राम के अलावा भी देश के हेल्थकेयर सिस्टम ऐसी बहुत सी खामियां हैं, जिन्हें तत्काल रूप से ठीक किया जाना है. यह मध्यावधि प्रक्रिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हेल्थकेयर सेक्टर पर जीडीपी के प्रतिशत खर्च के मामले में भारत 191 देशों की लिस्ट में 184वें स्थान पर है.
इस सेक्टर के लिए एक बार की इस व्यवस्था और अतिरिक्त खर्च से केंद्र सरकार वित्तीय घाटे पर असर पड़ेगा. हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट कर दिया है कि जरूरत पड़ने पर सरकार के लिए खर्च करना पहली प्राथमिकता है. ऐसे समय में वित्तीय घाटे को संतुलित करना प्राथमिकता नहीं है.